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“नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी ब्लॉगिंग” Contest

मंथन- A Review
मंथन- A Review
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“नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी ब्लॉगिंग” Jagran Contest

नव परिवर्तनों का दौर तकनीकी विकास का दौर है इन परिवर्तनों में तकनीकी विकास इतनी तेज़ी से हो रहा है कि जब तक किसी एक उपभोक्ता वस्तु की जानकारी आम होती है तब तक दूसरी उससे अधिक उन्नत रूप में तैयार हो जाती है| युग पुरुष अमिताभ बच्चन जी ने एक बार अपने ब्लॉग में लिखा था कि जब तक एक स्मार्ट फ़ोन के सभी फीचर्स और उन्हें प्रयोग करने की विधि समझ में आती है तब तक नया स्मार्ट फ़ोन नए फीचर्स के साथ बाज़ार में आ जाता है|

ऐसे में यदि हिंदी ब्लॉगिंग की बात की जाये तो ऐसा लगता है जैसे पत्थरों से भरे तालाब में कंकड़ फैंक कर लहरों के उठने का मज़ा लेने की उम्मीद की जाये| परन्तु, यदि हम इतिहास पर नज़र डालें तो कोई भी क्रांति लाने में कलम से बड़ा शस्त्र कोई नहीं है और कलम किसी भाषा की मोहताज़ नहीं| अगर कलम में दम है तो वह सुप्त-प्रायः समाज या देश के भावो में प्रचंड वेग उत्पन्न कर सकती है|

पर, थोडा सा असहज तब लगता है जब तकनीकी विकास के माध्यम से होते हुए अपनी बात तुरंत विश्व-पटल के सामने रखनी हो|

नव तकनीक के क्षेत्र में द्रुत गति से विकासशील ब्लॉगिंग प्रथा शुरू में तो अंग्रेजी की बंधक थी क्योंकि कंप्यूटर तकनीक का विकास उस देश में हुआ जो केवल अंग्रेजी भाषा ही जानते थे| लेकिन हमारे लिये गर्व की बात है कि उनकी तकनीक का विकास हिंदुस्तान में अधिकतम हुआ और हिंदी भाषा कंप्यूटर तकनीक में अपना वर्चस्व बनाने में सफल रही|

ब्लॉगिंग एक ऐसी विधा है जिसमें न केवल स्थापित साहित्यकार अपितु एक आम आदमी भी अपनी बात ब्लॉग के ज़रिये दुनिया के सामने रख सकता है और इसका अर्थ केवल अपने मन की कहना ही नहीं बल्कि दूसरे लोगों तक उस बात को पहुँचाना  भी है| यह तभी संभव हो सकता है जब सम्प्रेषण का माध्यम सहज व सरल हो|

कोई भी ब्लॉग पाठकों को तभी आकर्षित कर सकता है जब पाठक को उसे पढने और समझने में अधिक माथापच्ची न करनी पड़े| वैसे भी अंतरजाल पर व्यक्तिगत अभिव्यक्तियों की बाढ़ सी आई रहती है और दिन पर दिन उसका बहाव और तेज़ होता जा रहा है| दूसरी तरफ, लोगो के पास समायाभाव होता है| किसी की कही बात को जानने या समझने के लिए वही ब्लॉग सफल हो सकता है जिसकी भाषा सर्वव्यापक हो, सहज हो, सरल हो, प्रवाहपूर्ण हो| भाषा ही विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम है| हिंदुस्तान की सभ्यता व संस्कृति निसंदेह अद्वितीय है तथा पूरे विश्व में अनुपम है| हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा जानने वाला व हिंदी भाषा के प्रति उच्च सोच रखने वाला व्यक्ति ब्लॉगिंग के ज़रिये अधिकतम लोगों तक अपनी बात पहुँचा सकता है| बस, दम होना चाहिए उसके भावो में, विचारों में, शब्दों के चयन में व शिल्प में|

उषा तनेजा ‘उत्सव’

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