मंथन- A Review
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नवयुग-उत्थान का नींव पत्थर
महिला दिवस तो है केवल एक प्रतीक सम्मान का,
मैं खुद महिलाओं का सम्मान बन जाना चाहती हूँ।
मुझे अबला न कहा जाए, न ही सुना या लिखा जाए,
मैं तो ब्रह्माण्ड की आदि-शक्ति बन जाना चाहती हूँ।
विशेष अधिकारों, राहतों से मत बनाओ मुझे यूँ पंगु,
मैं हर महिला को स्वावलंबी बनना सिखाना चाहती हूँ।
तरस मत खाओ मुझपे, ए संवेदनहीन दुनिया वालों,
मैं नवयुग-उत्थान का नींव पत्थर बन जाना चाहती हूँ।
उषा तनेजा
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